Chapter 7 बादल राग



पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न

कविता के साथ

1.  ‘अस्थिर सुख पर दुख की छाया’  पंक्ति में  ‘दुख की छाया’ किसे कहा गया हैं और क्यों?
उत्तर-
कवि ने ‘दुख की छाया’ मानव-जीवन में आने वाले दुखों, कष्टों को कहा है। कवि का मानना है कि संसार में सुख कभी स्थायी नहीं होता। उसके साथ-साथ दुख का प्रभाव रहता है। धनी शोषण करके अकूत संपत्ति जमा करता है परंतु उसे सदैव क्रांति की आशंका रहती है। वह सब कुछ छिनने के डर से भयभीत रहता है।

2. ‘ अशानि-पात से शापित उन्नत शत-शत वीर ‘ पंक्ति में किसकी ओर संकेत किया है ?
उत्तर-

इस पंक्ति में कवि ने पूँजीपति या शोषक या धनिक वर्ग की ओर संकेत किया है। ‘बिजली गिरना’ का तात्पर्य क्रांति से है। क्रांति से जो विशेषाधिकार-प्राप्त वर्ग है, उसकी प्रभुसत्ता समाप्त हो जाती है और वह उन्नति के शिखर से गिर जाता हैं। उसका गर्व चूर-चूर हो जाता है।

3.  ‘ विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते ‘  पंक्ति में ‘ विप्लव-रव ‘ से क्या तात्पर्य है ? ‘ छोटे ही है हैं शोभा पाते ‘ एसा क्यों कहा गया है ?
उत्तर-

विप्लव-रव से तात्पर्य है-क्रांति-गर्जन। जब-जब क्रांति होती है तब-तब शोषक वर्ग या सत्ताधारी वर्ग के सिंहासन डोल जाते हैं। उनकी संपत्ति, प्रभुसत्ता आदि समाप्त हो जाती हैं। कवि ने कहा है कि क्रांति से छोटे ही शोभा पाते हैं। यहाँ ‘छोटे’ से तात्पर्य है-आम आदमी। आम आदमी ही शोषण का शिकार होता है। उसका छिनता कुछ नहीं है अपितु उसे कुछ अधिकार मिलते हैं। उसका शोषण समाप्त हो जाता है।

4.  बादलों के आगमन से प्रकृति में होने वाले किन-किन परिवर्तनों को कविता रेखांकित करती हैं?’
उत्तर-

बादलों के आगमन से प्रकृति में निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं

(i) बादल गर्जन करते हुए मूसलाधार वर्षा करते हैं।
(ii) पृथ्वी से पौधों का अंकुरण होने लगता है।
(iii) मूसलाधार वर्षा होती है।
(iv) बिजली चमकती है तथा उसके गिरने से पर्वत-शिखर टूटते हैं।
(v) हवा चलने से छोटे-छोटे पौधे हाथ हिलाते से प्रतीत होते हैं।
(vi) गरमी के कारण दुखी प्राणी बादलों को देखकर प्रसन्न हो जाते हैं।

5. व्याख्या कीजिए-

(क) तिरती है समीर-सागर पर
अस्थिर सुख पर दुख की छाया-
जग के दग्ध हृदय पर
निर्दय विप्लव की प्लावित माया-

(ख) अट्टालिका नहीं है रे
आतंक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन,

उत्तर-
इनकी व्याख्या के लिए क्रमश: व्याख्या-1 व 3 देखिए।

कला की बात

1. पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया गया है। आपको प्रकृति का कौन-सा मानवीय रूप पसंद आया और क्यों ?
उत्तर-

कवि ने पूरी कविता में प्रकृति का मानवीकरण किया है। मुझे प्रकृति का निम्नलिखित मानवीय रूप पसंद आया-

हँसते हैं छोटे पौधे लघुभार-
शस्य अपार,
हिल-हिल

खिल-खिल,
हाथ हिलाते,
तुझे बुलाते,

इस काव्यांश में छोटे-छोटे पौधों को शोषित वर्ग के रूप में बताया गया है। इनकी संख्या सर्वाधिक होती है। ये क्रांति की संभावना से प्रसन्न होते हैं। ये हाथ हिला-हिलाकर क्रांति का आहवान करते हुए प्रतीत होते हैं। यह कल्पना अत्यंत सुंदर है।

2. कविता में रूपक अलंकार का प्रयोग कहाँ-कहाँ हुआ है ? संबंधित वाक्यांश को छाँटकर लिखिए ।
उत्तर-

रूपक अलंकार के प्रयोग की पंक्तियाँ निम्नलिखित हैं-

● तिरती है समीर-सागर पर
● अस्थिर सुख पर दुख की छाया
● यह तेरी रण-तरी

● भेरी–गर्जन से सजग सुप्त अंकुर
● ऐ विप्लव के बादल
● ऐ जीवन के पारावार

3. इस कविता में बादल के लिए ‘ ऐ विप्लव के वीर! ‘ तथा ‘ के ‘ ऐ जीवन के पारावार!’ जैसे संबोधनों का इस्तेमाल किया गया है। ‘ बादल राग ‘कविता के शेष पाँच खंडों में भी कई संबोधानें का इस्तेमाल किया गया है। जैसे- ‘ ओर वर्ष के हर्ष !’ मेरे पागाल बादल !, ऐ निर्बंध !, ऐ स्वच्छंद! , ऐ उद्दाम! ,
ऐ सम्राट! ,ऐ विप्लव के प्लावन! , ऐ अनंत के चंचल शिशु सुकुमार!  उपर्युक्त संबोधनों की व्याख्या करें तथा बताएँ कि बादल के लिए इन संबोधनों का क्या औचित्य हैं?

उत्तर-
इन संबोधनों का प्रयोग करके कवि ने न केवल कविता की सार्थकता को बढ़ाया है, बल्कि प्रकृति के सर्वाधिक महत्वपूर्ण उपादान का सुंदर चित्रण भी किया है। बादल के लिए किए संबोधनों की व्याख्या इस प्रकार है-

4. कवि बादलों को किस रूप में देखता हैं? कालिदास ने ‘मेघदूत’ काव्य में मेघों को दूत के रूप में देखा/अप अपना कोई काल्पनिक बिंब दीजिए ।
उत्तर-

कवि बादलों को क्रांति के प्रतीक के रूप में देखता है। बादलों के द्वारा वह समाज में व्याप्त शोषण को खत्म करना चाहता है ताकि शोषित वर्ग को अपने अधिकार मिल सकें। काल्पनिक बिंब- हे आशा के रूपक हमें जल्दी ही सिक्त कर दो अपनी उजली और छोटी-छोटी बूंदों से जिनमें जीवन का राग छिपा है। हे आशा के संचारित बादल!

5. कविता को प्रभावी बनाने के लिए कवि विशेषणों का सायास प्रयोग करता हैं जैसे-अस्थिर सुख। सुख के साथ अस्थिर विशेषण के प्रयोग ने सुख के अर्थ में विशेष प्रभाव पैदा कर दिया हैं। ऐसे अन्य विशेषणों को कविता से छाँटकर लिखें तथा बताएँ कि ऐसे शब्द-पदों के प्रयोग से कविता के अर्थ में क्या विशेष प्रभाव पैदा हुआ हैं?
उत्तर-

कविता में कवि ने अनेक विशेषणों का प्रयोग किया है जो निम्नलिखित हैं

(i) निर्दय विप्लव- विनाश को अधिक निर्मम व विनाशक बताने हेतु ‘निर्दय’ विशेषण।
(ii)  दग्ध हृदय- दुख की अधिकता व संतप्तता हेतु’दग्ध’विशेषण।
(iii) सजग- सुप्त अंकुर- धरती के भीतर सोए, किंतु सजग अंकुर-हेतु ‘सजग-सुप्त’ विशेषण।
(iv) वज्रहुंकार- हुंकार की भीषणता हेतु ‘वज्र’ विशेषण।
(v) गगन-स्पर्शी- बादलों की अत्यधिक ऊँचाई बताने हेतु ‘गगन’।
(vi) आतंक-भवन- भयावह महल के समान आतंकित कर देने हेतु।
(vii) त्रस्त नयन- आँखों की व्याकुलता।
(viii) जीर्ण बाहु- भुजाओं की दुर्बलता।
(ix) प्रफुल्ल जलज- कमल की खिलावट।
(x) रुदध कोष- भरे हुए खजानों हेतु।

अन्य हल प्रश्न


1. ‘बादल राग ‘ कविता के आधार पर भाव स्पष्ट कीजिए-
विप्लव-रव से छोटे ही हैं शोभा पाते।

उत्तर-

‘विप्लव-रव’ से तात्पर्य है-क्रांति का स्वर। क्रांति का सर्वाधिक लाभ शोषित वर्ग को ही मिलता है क्योंकि उसी के अधिकार छीने गए होते हैं। क्रांति शोषक वर्ग के विशेषाधिकार खत्म होते हैं। आम व्यक्ति को जीने के अधिकार मिलते हैं। उनकी दरिद्रता दूर होती है। अत: क्रांति की गर्जना से शोषित वर्ग प्रसन्न होता है।

2. क्रांति की गर्जना का शोषक वर्ग पर क्या प्रभाव पड़ता है ? उनका मुख ढँकना किस मानसिकता का द्योतक है ? ‘ बादल राग ‘ कविता के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर-

शोषक वर्ग ने आर्थिक साधनों पर एकाधिकार जमा लिया है, परंतु क्रांति की गर्जना सुनकर वह अपनी सत्ता को खत्म होते देखता है। वह बुरी तरह भयभीत हो जाता है। उसकी शांति समाप्त हो जाती है। शोषक वर्ग का मुख ढाँकना उसकी कमजोर स्थिति को दर्शाता है। क्रांति के परिणामों से शोषक वर्ग भयभीत है।

3. ” ‘बादल राग ‘ जीवन-निर्माण के नए राग का सूचक है। ” स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-

‘ बादल राग’ कविता में कवि ने लघु-मानव की खुशहाली का राग गाया है। वह आम व्यक्ति के लिए बादल का आहवान क्रांति के रूप में करता है। किसानों तथा मजदूरों की आकांक्षाएँ बादल को नवनिर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं। क्रांति हमेशा वंचितों का प्रतिनिधित्व करती है। बादलों के अंग-अंग में बिजलियाँ सोई हैं, वज्रपात से शरीर आहत होने पर भी वे हिम्मत नहीं हारते। गरमी से हर तरफ सब कुछ रूखा-सूखा और मुरझाया-सा है। धरती के भीतर सोए अंकुर नवजीवन की आशा में सिर ऊँचा करके बादल की ओर देख रहे हैं। क्रांति जो हरियाली लाएगी, उससे सबसे अधिक उत्फुल्ल नए पौधे, छोटे बच्चे ही होंगे।

4. ‘बादल राग ‘ कविता में ‘ऐ विप्लव के वीरJ’किसे कहा गया हैं और क्यों?  
उत्तर-

‘बादल राग’ कविता में ‘ऐ विप्लव के वीर!’ बादल को कहा गया है। बादल घनघोर वर्षा करता है तथा बिजलियाँ गिराता है। इससे सारा जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बादल क्रांति का प्रतीक है। क्रांति आने से बुराई रूपी कीचड़ समाप्त हो जाता है तथा आम व्यक्ति को जीने योग्य स्थिति मिलती है।

5.  ‘बादल राग’ शीर्षिक की सार्थकता सिद्ध कीजिए।
उत्तर-

‘बादल राग’ क्रांति की आवाज का परिचायक है। यह कविता जनक्रांति की प्रेरणा देती है। कविता में बादलों के आने से नए पौधे हर्षित होते हैं, उसी प्रकार क्रांति होने से आम आदमी को विकास के नए अवसर मिलते हैं। कवि बादलों का बारिश करने या क्रांति करने के लिए करता है। यह शीर्षक उद्देश्य के अनुरूप है। अत: यह शीर्षक सर्वथा उचित है।

6. विप्लवी बादल कीयुद्ध-नौका कीकौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गाए है ?
उत्तर-

कवि ने विप्लवी बादल की युद्ध-नौका की निम्नलिखित विशेषताएँ बताई हैं

(i) यह समीर-सागर में तैरती है।
(ii) यह भेरी-गर्जन से सजग है।
(iii) इसमें ऊँची आकांक्षाएँ भरी हुई हैं।

7. प्रस्तुत पद्यश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-

अट्टालिका नहीं है रे
आतक-भवन
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लवन
क्षुद्र प्रफुल्ल जलज से
सदा छलकता नीर
रोग-शोक में भी हँसता है
शैशव का सुकुमार शरीर।

(क) कवि अट्टालिकाओं को आतंक-भवन क्यों मानता है?
(ख) ‘पंक’ और ‘जलज’ का प्रतीकार्थ बताइए।
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए-
सदा पंक पर ही होता
जल-विप्लव-प्लावन।
(घ) शिशु का उल्लेख यहाँ क्यों किया गया है?  [CBSE (Delhi), 2014]

उत्तर-

(क) धनिकों के आवासों को ‘आतंक-भवन’ की संज्ञा दी गई है क्योंकि इन भवनों में शोषण के नए-नए तरीके खोजे जाते हैं। ये आवास शोषण से लूटी गई संपत्ति के केंद्र भी होते हैं।
(ख) ‘पंक’ का प्रतीकार्थ है-साधारण शोषित एवं उपेक्षित लोगों का तथा ‘अट्टालिका’ शोषक पूँजीपतियों का प्रतीक है।
(ग) ‘सदा पंक पर ही होता/जल-विप्लव प्लावन’ का आशय है-वर्षा से जो बाढ़ आती है वह सदा कीचड़-भरी धरती को ही डुबोती है। अर्थात शोषण की मार सबसे अधिक दबे-कुचले और गरीबों को ही झेलनी पड़ती है।

8.  ‘बादल राग ‘ कविता में कवि निराला की किस क्रांतिकारी विचारधारा का पता चलता हैं?
उत्तर-

‘बादल राग’ कविता में कवि की क्रांतिकारी विचारधारा का ज्ञान होता है। वह समाज में व्याप्त पूँजीवाद का घोर विरोध करता हुआ दलित-शोषित वर्ग के कल्याण की कामना करता हुआ, उन्हें समाज में उचित स्थान दिलाना चाहता है। कवि ने बादलों की गर्जना, बिजली की कड़क को जनक्रांति का रूप बताया है। इस जनक्रांति में धनी वर्ग का पतन होता है और छोटे वर्ग-मजदूर, गरीब, शोषित आदि-उन्नति करते हैं।

9.  ‘बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक-भवन क्यों कहा गया है?
उत्तर-

‘बादल राग’ कविता में अट्टालिकाओं को आतंक-भवन इसलिए कहा गया है क्योंकि इन भवनों में शोषण के नए-नए तरीके खोजे जाते हैं। ये ऊँचे-ऊँचे भवन शोषण से लूटी गई संपत्ति के केंद्र होते हैं।